Sunday, December 10, 2006

मानवाधिकार दिवस

10 दिसंबर यानी मानवाधिकार दिवस। "मानवाधिकारों" को लेकर अक्सर विवाद बना रहता है। ये समझ पाना मुश्किल हो जाता है कि क्या वाकई में मानवाधिकारों की सार्थकता है। अबू गरीब जेल जैसे कांड जब सुनने में आते हैं तो मानवाधिकारों की बात करना सही प्रतीत होता है। जेल में कैदियों के साथ जिस तरह का अमानवीय व्यवहार किया जाता है या किसी भी वजह से मनुष्य के हितों की अनदेखी होती है तो यकीनन उसे सही नहीं ठहराया जा सकता। ऐसे में मानव अधिकारों की बात करना सही लगता है, लेकिन वहीं दूसरी और जब मानवाधिकारों की दुहाई देकर अफजल गुरु जैसे आतंकवादियों को माफ करने की बात कही जाती है तो मानवाधिकार जैसी बाते निरर्थक लगती है। विरोधाभास तो है ही लेकिन कहीं न कहीं मानव का हित साधना ही परम उद्देश्य है।

कुछ नजर मानवाधिकारों के इतिहास पर भीः-

कब और कैसे?

संयुक्त राष्ट्र महासभा ने पहली बार १० दिसंबर, १९४८ में सार्वभौमिक मानवाधिकार घोषणा स्वीकार की थी। १९५० से महासभा ने सभी देशों को इसकी शुरुआत के लिए आमंत्रित किया।

संयुक्त राष्ट्र ने इस दिन को मानवाधिकारों की रक्षा और उसे बढ़ावा देने के लिए तय किया
संयुक्त राष्ट्र ने २००५-०७ तक का समय प्राइमरी और सेकेंडरी स्कूलों में मानवाधिकार शिक्षा के लिए मुकर्रर किया है।

क्या है 'मानव अधिकार'

किसी भी इंसान की जिंदगी, आजादी, बराबरी और सम्मान का अधिकार है मानवाधिकार है। भारतीय संविधान इस अधिकार की न सिर्फ गारंटी देता है, बल्कि इसे तोड़ने वाले को अदालत सजा देती है।

भारत में

देश में २८ सिंतबर, १९९३ से मानव अधिकार कानून अमल में आया।

१२ अक्तूबर, १९९३ में सरकार ने राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग का गठन किया।

आयोग के कार्यक्षेत्र में

नागरिक और राजनीतिक के साथ आर्थिक , सामाजिक और सांस्कृतिक अधिकार भी आते हैं। जैसे बाल मजदूरी, एचआईवी/एड्स, स्वास्थ्य, भोजन, बाल विवाह, महिला अधिकार, हिरासत और मुठभेड़ में होने वाली मौत, अल्पसंख्यकों और अनुसूचित जाति और जनजाति के अधिकार।

2 Comments:

At 9:52 AM, Anonymous Anonymous said...

संक्षिप्त मगर उपयोगी जानकारी.
मानविय व्यवहार उन्ही लोगो के साथ होना चाहिए जो मानव-जीवन का सम्मान करते हो.

 
At 2:19 AM, Blogger SMYK said...

I am visiting this blog first time. Really it is a very rare experience that HINDI MAIN BHEE KOSHISH HO RAHI HAI...it,s encouraging. Sur you doing hard...good---yusuf kirmani
www.medianowonline.com

 

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